Saturday, September 19, 2009

Indian Tennis Hero Leander Paes.


लगा पेस का ऐस


जिस उम्र में अधिकतर खिलाड़ी रैकेट खूंटी पर टांग खेल को अलविदा कह देते है, 36 वर्षीय लिएंडर पेस अभी भी बड़ी ट्राफियां जीत रहे है। टेनिस के प्रति चाहत, जबरदस्त फिटनेस और खुद पर विश्वास उनमें जीतने का जज्बा पैदा करता है। 2009 की शुरुआत में जीते गए फ्रेंच ओपन और इसी सितंबर में जीते गए यूएस ओपन सहित उनके दस ग्रैंड टाइटल इसी का परिणाम हैं।
[विरासत में मिली खेल भावना]
17 जून 1973 को एक कैथोलिक ईसाई परिवार में जन्मे लिएंडर पेस को खेल भावना विरासत में मिली। उनके पिता वेस पेस और मां जेनिफर दोनों ही अलग-अलग खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। वेस पेस म्यूनिख ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता भारतीय हाकी टीम के मिडफील्डर थे, वहीं जेनिफर एशियन बास्केटबाल चैंपियनशिप में भारतीय टीम की कप्तान थीं।
[थी फुटबॉल की दीवानगी]
लिएंडर पेस ने अपनी शिक्षा ला मार्टिनियर व सेंट जेवियर्स कालेज, कोलकाता से प्राप्त की। शुरुआती दिनों में वे फुटबॉल के दीवाने थे, लेकिन घुटने की जबर्दस्त चोट के बाद वे टेनिस की ओर मुड़ गए। उन्होंने चेन्नई स्थित ब्रिटानिया अमृतराज टेनिस अकादमी (बैट) में कोच डेव ओमीरा से इस खेल की बारीकियों को सीखा। 1990 में विंबलडन जूनियर ग्रैंड स्लैम जीतकर वह व‌र्ल्ड जूनियर नंबर वन की पोजीशन पर आ गए।
[प्रोफेशनल टाइटल्स की भरमार]
प्रोफेशनल टेनिस में प्रवेश के बीस साल बाद भी लिएंडर पेस के उत्साह और जोश की बराबरी नए खिलाड़ी तक नहीं कर पाते है। 1990 के बाद लिएंडर पेस टेनिस की नित नई ऊंचाईयों को छूते रहे हैं। बार्सिलोना ओलंपिक (1992) में रमेश कृष्णन के साथ क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करने के बाद उनमें टेनिस के महारथियों के खिलाफ खेलने का आत्मविश्वास आ गया। चार साल बाद अटलांटा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर वह के.डी. जाधव (म्यूनिख ओलंपिक में रेस्लिंग में कांस्य पदक) के बाद व्यक्तिगत स्पर्धा में कोई पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय बने। इसके बाद लिएंडर पेस नेशनल हीरो बन गए और इस उपलब्धि के लिए उन्हे राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया। अब तक उनके नाम 41 डबल टाइटल दर्ज है। भारत के दूसरे सफलतम टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति के साथ उन्होंने तीन ग्रैंड स्लैम टाइटल जीते है। वह आज भी भारत के सबसे सफल टेनिस खिलाड़ी है और खुद को दिन-प्रतिदिन और मजबूत करते जा रहे हैं।
[जोड़ीदारों के लिए भाग्यशाली]
टेनिस के लिए जीने वाला यह खिलाड़ी अपने सभी जोड़ीदारों के लिए भाग्यशाली साबित हुआ। अटलांटा ओलंपिक के बाद लिएंडर पेस ने महेश भूपति के साथ जोड़ी बनाकर यूएस ओपन (1997) के सेमीफाइनल का सफर तय किया। 1998 में इस जोड़ी ने ऑस्ट्रेलियन, फ्रेंच और यूएस ओपन ग्रैंड स्लैम के फाइनल में जगह बनाई। लिएंडर पेस ने इसी वर्ष कारा ब्लैक के साथ मिलकर यूएस ओपन का मिक्स डबल टाइटल अपने नाम किया। लिएंडर पेस और महेश भूपति का गठबंधन 1999 में ग्रैंड स्लैम टेनिस टूर्नामेंट जीतने वाली पहली भारतीय जोड़ी के रूप में सामने आया। 1999 में ही पेस ने लीसा रेमंड के साथ विंबलडन का मिक्स डबल टाइटल भी जीता। लिएंडर पेस ने 2003 में मार्टिना नवरातिलोवा के साथ जोड़ी बनाकर ऑस्ट्रेलियन ओपन और विंबलडन का टाइटल जीता।
[बीमारी के बाद शानदार वापसी]
खिलाड़ी के तौर पर लिएंडर पेस के आत्मविश्वास और साहस की जितनी तारीफ की जाए, वह कम है। 2003 में शरीर को कमजोर कर देने वाली भयावह बीमारी के बाद उनकी वापसी आश्चर्यजनक थी। विंबलडन की जीत के कुछ सप्ताह बाद उन्हे ब्रेन ट्यूमर के संदेह के कारण कैंसर सेंटर में भर्ती होना पड़ा, जोकि बाद में दिमागी संक्रमण निकला। ठीक होने के बाद उन्होंने शानदार वापसी की और महेश भूपति के साथ मिलकर एथेंस ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बनाई। तब उनके फार्म और फिटनेस को देख कर यह साफ संकेत मिल गया था कि वे अभी कॅरियर की लंबी इनिंग खेलेंगे।

....और ऐसा ही हुआ भी!

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