Sunday, May 3, 2009

Profile of face book CEO Mark Zuckerberg


सबसे युवा अरबपति


May 02, 11:11 pm
सामान्यत: लोग इंटरनेट को जानकारी लेने, लोगों से जुड़ने और चैटिंग करने के लिए ही इस्तेमाल करते है। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो साइबर संसार से जुड़ी हर चीज का इस्तेमाल भली प्रकार करना और इनमें इनोवेशन करना जानते है। इन्हीं में से एक है 'फेसबुक' नामक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट के संस्थापक 25 वर्षीय मार्क जुकरबर्ग, जो इसकी वजह से बन गए है दुनिया के सबसे युवा अरबपति।
व्यवसाय से कंप्यूटर प्रोग्रामर मार्क ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ते समय फेसबुक का निर्माण किया, जो आज विश्व भर के छात्रों और युवाओं के बीच प्रसिद्ध है। फेसबुक के सीईओ मार्क को 'टाइम' मैग्जीन ने वर्ष के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में शामिल किया है। इस सूची में उन्हे अंतर्राष्ट्रीय पटल पर नई क्रांति लाने वाले बराक ओबामा, दलाई लामा और माइकल फेल्प्स के साथ जगह दी गई है।
[बचपन से कंप्यूटर प्रेमी]
14 मई 1984 को न्यूयार्क के डॉक्टर दंपति एडवर्ड और कैरन जुकरबर्ग के घर जन्मे मार्क बचपन से ही कंप्यूटर प्रेमी थे। मिडिल स्कूल में पढ़ते समय ही उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग शुरू कर दी थी। उन्हे नए-नए प्रोग्राम, कम्युनिकेशन टूल्स और गेम्स बनाना पसंद था। हाईस्कूल में पढ़ते समय मार्क ने पिता के ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों के बात करने के लिए कम्युनिकेशन प्रोग्राम तैयार किया। उसके बाद उन्होंने 'सिनैप्स' नामक म्यूजिक प्लेयर बनाया, जो उसे इस्तेमाल करने वाले की आदतों को ट्रैक कर लेता था। माइक्रोसॉफ्ट और एओएल ने सिनैप्स खरीदने और मार्क को जॉब देने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने का निर्णय लिया।
[हॉस्टल रूम में बनाई फेसबुक]
मार्क ने फेसबुक का प्रारंभ अपने हॉस्टल के रूम से 4 फरवरी 2004 में किया। यह बहुत जल्दी हार्वर्ड में प्रसिद्ध हो गई और कालेज के दो-तिहाई छात्र पहले दो सप्ताह में ही इसमें शामिल हो गए। हार्वर्ड में प्रसिद्ध होने के बाद मार्क ने इसे अन्य शैक्षिक संस्थानों में भी फैलाने की ठानी और इसके लिए उन्होंने अपने रूम पार्टनर डस्टिन मोस्कोविट्ज की सहायता ली। 2004 की गर्मियों में मार्क और मोस्कोविट्ज ने इसे पैंतालिस शैक्षिक संस्थानों में विस्तृत कर दिया और जल्द ही इसमें हजारों छात्र शामिल हो गए।
[कैलिफोर्निया का क्रांतिकारी सफर]
2004 की गर्मियों में ही मार्क व मोस्कोविट्ज अपने कुछ अन्य मित्रों के साथ पालो अल्टो, कैलिफोर्निया आ गए। मार्क ने कैलिफोर्निया में बर्फ गिरने के कारण ग्रुप के साथ ने वापस हार्वर्ड लौटने की तैयारी शुरू की, लेकिन फिर अचानक उन्होंने निर्णय किया कि यहीं रहना चाहिए। उस दिन के बाद वह एक छात्र के रूप में लौटकर हार्वर्ड नहीं गए। उन्होंने कैलिफोर्निया में एक छोटा सा घर किराए पर लिया और ऑफिस के रूप में वहां काम करना शुरू किया। गर्मियों के बाद उनकी मुलाकात पीटर थील से हुई, जो मार्क की कंपनी में पूंजी लगाने को तैयार हो गए। कुछ माह बाद पालो अल्टो स्थित यूनिवर्सिटी के पास उन्हें अपना पहला 'असली ऑफिस' मिला। आज वहां सात इमारतों में फेसबुक के सैकड़ों कर्मचारी काम कर रहे है। मार्क ने इस जगह को 'अर्बन कैंपस' का नाम दिया है।
[नई सेवाओं ने बढ़ाई गुणवत्ता]
5 सितंबर 2006 को मार्क ने फेसबुक की गुणवत्ता बढ़ाते हुए उसमें कुछ बदलाव किए। अब फेसबुक में यूजर यह भी देख सकते थे कि उनका मित्र साइट पर क्या कर रहा है? 24 मई 2007 को मार्क ने फेसबुक प्लेटफॉर्म की घोषणा की। इस प्लेटफॉर्म पर प्रोग्रामर सोशल एप्लीकेशन विकसित कर सकते थे। एक सप्ताह में ही इसमें कई प्रोग्रामर ने सोशल एप्लीकेशन बनाई और उन एप्लीकेशन को लाखों उपभोक्ता भी मिल गए। आज फेसबुक प्लेटफॉर्म का फायदा दुनिया भर में करीब 4,00,000 लोग उठा रहे है। इसके दो साल बाद फेसबुक ने विश्व के नंबर एक सर्च इंजन गूगल की बोली को नकार कर अपने शेयरों की 1.6 प्रतिशत साझेदारी माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन को 240 मिलियन डॉलर में बेच दी। इस बोली के समय यह तथ्य भी सामने आया कि उस समय फेसबुक की कुल मार्केट वैल्यू 515 बिलियन डॉलर थी!

Friday, May 1, 2009

A Story of IPL Hero KAMRAN KHAN Fast bowler of Rajasthan Royals.

आईपीएल का इकबाल
दैनिक जागरण। May 01,
राजस्थान रॉयल्स के 18 वर्षीय युवा क्रिकेटर कामरान खान के पास खोने को कुछ नहीं है, लेकिन पाने के लिए सारा जहां है और इसी चाहत में वह आईपीएल-2 में नामी-गिरामी चैंपियन खिलाड़ियों के बीच चमक रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में एक निर्धन परिवार में जन्मे कामरान अपने सात भाइयों और दो बहनों में सबसे छोटे है। कामरान की कहानी फिल्म 'इकबाल' के नायक इकबाल से कुछ अलग नहीं है। इस फिल्म में जैसे इकबाल धूल से भरे मैदानों से निकल अचानक विश्व क्रिकेट के परिदृश्य में छा जाता है, उसी तरह गलियों में टेनिस बॉल से खेलने वाले कामरान ने भी दृढ़निश्चय और आत्मविश्वास के बल पर केप टाउन के हरे-भरे मैदान पर अपने प्रोफेशनल क्रिकेट जीवन में पहली बार लेदर की गेंद फेंकी।
कामरान खान के साथ राजस्थान रॉयल्स ने 12 लाख रुपये वार्षिक का कांट्रेक्ट किया है। कांट्रेक्ट के बाद कामरान ने एक इंटरव्यू में कहा, ''मैं अपनी खुशी का इजहार शब्दों में नहीं कर सकता। मैं जानता था कि एक दिन मैं किसी बड़ी टीम के साथ खेलूंगा, लेकिन इतनी जल्दी ख्वाब पूरा होने के बारे में नहीं सोचा था।''
कामरान के पिता अतीक अहमद एक लकड़हारे और मां मेहरुन्निसां गृहिणी थीं। इस समय दोनों इस दुनिया में अपने बेटे की सफलता देखने के लिए मौजूद नहीं है। कामरान के बड़े भाई शमशाद अभी भी उनकी सफलता पर भरोसा नहीं कर पा रहे है। वह कामरान को क्रिकेट खेलने से रोका करते थे। शमशाद कहते है, ''मैं क्रिकेट के खिलाफ नहीं था। दरअसल हम लोग बहुत गरीब परिवार से है और हमारे पास जीवन व्यतीत करने के बहुत कम साधन हैं। मैं चाहता था कि वह कुछ कमाने लगे। अब मेरा भाई क्रिकेट खेल कर कमाई करेगा।''
कामरान के कोच नौशाद खान बताते है, ''मैं ढाई साल पहले आजमगढ़ स्थित अपने गांव बासुपुर गया था। वहां मैंने कामरान को एक धूल भरे मैदान में टेनिस बॉल से खेलते देखा। उसमें छिपे जबरदस्त उत्साह को देखकर मैं समझ गया कि इसमें बहुत आगे जाने का दम है। मैंने उसे मुंबई आकर ट्रेनिंग लेने के लिए आमंत्रित किया।''
मुंबई आने के बाद नौशाद ने उनकी अपने घर में रहने और भोजन की व्यवस्था की। कामरान उनकी निगरानी में अपनी गेंदबाजी निखारने लगे। कामरान जब मुंबई के बाहर किसी शहर ट्रायल देने जाते, तो तंगहाली के कारण प्लेटफार्म टिकट लेकर स्टेशन पर ही रात गुजारते थे। वह ट्रायल में खाली पेट या चाय-बिस्कुट खाकर बॉल फेंकते थे। ट्रायल देने के लिए वह अपने एक जोड़ी ट्रैक सूट और फटे जूतों में ही जाते थे।
नौशाद खान कामरान के जीवन में आए टर्निग प्वाइंट के बारे में बताते है, ''कामरान मूलत: टेनिस बॉल प्लेयर था। हमने इसे तालीम शील्ड मैच में खेलने का मौका दिया। वहां इसने अच्छी बॉलिंग के साथ ही अपनी बैटिंग से भी प्रभावित किया। इसने 20 गेंद पर 60 रन की धुआंधार पारी खेली। उसके बाद मैंने मुंबई पुलिस स्क्वाड को इसे डीवाई पाटिल टी-20 टूर्नामेंट में खिलाने के लिए राजी किया। वहां इसने बहुत अच्छी गेंदबाजी की। एक मैच में इसने केवल 10 रन देकर तीन विकेट लिए। कामरान की किस्मत अच्छी थी, जो मैच देखने राजस्थान रॉयल्स के कोचिंग निदेशक डैरेन बैरी भी वहां मौजूद थे। डैरेन ने कामरान को अपनी टीम के प्रैक्टिस मैचों में भेजने के लिए कहा। प्रैक्टिस मैचों में भी कामरान ने तीन मैचों में बेहद कम रन देकर सात विकेट लिए।''
नौशाद आगे बताते है, ''इन मैचों के बाद एक दिन डैरेन कामरान को अलग ले गए और खुद को एक ओवर फेंकने को कहा। उसने पहली दो गेंद यार्कर, दो बाउंसर, एक गुड लेंथ और आखिरी बॉल स्लोअर डाली। कामरान की बॉलिंग परफेक्ट थी। डैरेन उससे बहुत अधिक प्रभावित हुए और आईपीएल के लिए कांट्रेक्ट का ऑफर दिया। हमें उसके बाद मुंबई इंडियंस से भी ऑफर मिला, लेकिन कामरान ने राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलने का निर्णय लिया।''
नौशाद अफ्रीका से कामरान के आए फोन के बारे में बताते है, ''उसने मुझे कहा कि वह एक दिन भारतीय टीम में खेलना चाहता है। मैंने उससे कहा कि यह तुम्हारी किस्मत पर निर्भर करेगा।'' कामरान 10 मार्च को 18 वर्ष के हुए है और अपने गांव के एक स्कूल में कक्षा सात के छात्र हैं। उनके उत्साह और प्रतिभा को देखकर लगता है कि जल्द ही विश्व क्रिकेट को वसीम अकरम जैसा एक और गेंदबाज मिलने वाला है!